गुनाहो का मसीहा लोग मुझें कहतें हैं, कभी शायर तो कभी कवि तो कभी मतलबफरोख्त कहतें है। गुनाहो का मसीहा लोग मुझें कहतें हैं, कभी शायर तो कभी कवि तो कभी मतलबफरोख्त कह...
तुम खास हो मेरे लिए वैसे ही जैसे कड़ी धूप में छांव होता है! तुम खास हो मेरे लिए वैसे ही जैसे कड़ी धूप में छांव होता है!
समाज के इन घरों को आखिर क्यूँ बाँँटते हो क्यूँ बाँटते हो। समाज के इन घरों को आखिर क्यूँ बाँँटते हो क्यूँ बाँटते हो।
छलकती है गगरी अधजल जब हो भरी न समझ तू ईश है मेरी समझ तू विष है! छलकती है गगरी अधजल जब हो भरी न समझ तू ईश है मेरी समझ तू विष है!
मेरी मां तुम हम सबकी आंखों का तारा हो। जिसके बिना हर घर सुना हो। मेरी मां तुम हम सबकी आंखों का तारा हो। जिसके बिना हर घर सुना हो।
जो उम्र है मेरी , उस हिसाब से , सब देखा , मगर तुम सा नही देखा ... जो उम्र है मेरी , उस हिसाब से , सब देखा , मगर तुम सा नही देखा ...